‘बाबा साहेब ने इस सदन से की शुरुआत’

पीएम बोले कि राज्यसभा कभी भंग नहीं हुई है लेकिन ना होगी, यहां राज्यों का प्रतिनिधित्व दिखता है. हर किसी के लिए चुनावी अखाड़ा पार करना आसान नहीं होता है, लेकिन देशहित में उनकी उपयोगिता कम नहीं होती है. ये ऐसी जगह है जहां पर ऐसे लोगों का भी स्वागत होता है. देश ने देखा है कि वैज्ञानिक, कला, लेखक समेत कई गणमान्य यहां आए हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण बाबा साहेब अंबेडकर हैं, किसी कारण से उन्हें लोकसभा में पहुंचने नहीं दिया लेकिन वह राज्यसभा में आए.


राज्यसभा में प्रधानमंत्री बोले कि लंबे समय तक विपक्ष कम था, लेकिन आज ऐसा कम ही देखने को मिलता था. पीएम बोले कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णनन ने कहा था कि हमारा विचार, व्यवहार और सोच ही दो संसदीय वाली हमारी संसदीय प्रणाली के औचित्य को साबित करेगी. संविधान का हिस्सा बनी इस सदन की परीक्षा हमारे काम से होगी, हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हम अपने सोच से देश को इस सदन का औचित्य साबित करें.


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प्रधानमंत्री मोदी ने 5 अप्रैल को रात्रि 9 बजे 9 मिनट तक घर की लाईट बंद करने की अपील की और 130 करोड़ देशवासियों को महाशक्ति जगाने का किया आह्वान
"यह विवाद का तीसरा दिन था। मग्घे की लाश पड़ी थी।
पीएम मोदी ने कहा कि ये लॉकडाउन का समय जरूर है, हम अपने अपने घरों में जरूर हैं, लेकिन हम में से कोई अकेला नहीं है। 130 करोड़ देशवासियों की सामूहिक शक्ति हर व्यक्ति के साथ है, हर व्यक्ति का संबल है। हमारे यहां माना जाता है कि जनता जनार्दन, ईश्वर का ही रूप होते हैं। इसलिए जब देश इतनी बड़ी लड़ाई लड़ रहा हो, तो ऐसी लड़ाई में बार-बार जनता रूपी महाशक्ति का साक्षात्कार करते रहना चाहिए। मोदी जी के भाषण का पूरा अंश ये रहा :-
भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 107 हो गई है। भारत सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा मामले केरल से सामने आए हैं। वहां 22 लोग कोविड19 पॉजिटिव पाए गए हैं। वहीं देश में दो और पूरी दुनिया में 6 हजार से अधिक लोगों की मौत इस बीमारी के संक्रमण से हो चुकी है।
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मग्घे ने पिछले कुछ बरसों से सैकड़ों बार प्रधान के कहने पर बैंक से पैसा उठाया था। हर बार वह घर आकर घर के मिट्टी की दीवार पर एक खड़ी लाइन जोड़ देता था जो पैसा बतौर हिसाब उसे प्रधान से पाना था। हालांकि प्रधान ने अभी तक तो एक रुपया भी नहीं दिया था मगर मिट्टी की दीवारों पर लाल रंग के सैकड़ों खड़ी लाइनें मग्घे और मीरावती को खासी तसल्ली देतीं थीं कि प्रधान के पास यह रकम जमा है और वह इसे देगा जरूर। मग्घे तड़प-तड़प कर टी.बी. की बीमारी से मर गया। मगर प्रधान अब-तब करता रहा। मग्घे के बच्चे प्रधान के आगे पीछे मड़राते रहे, मीरावती भी बार-बार उस दर पर गई, मगर पैसे न मिलेआम तौर पर डांट-फटकार से बात करने वाला प्रधान, मीरावती से विनम्रता से पेश आता और उसे आश्वासन देता रहा। मग्घे ने मरते-मरते अपने बड़े भाई दांते और छोटे भाई राम समुझ से वचन ले लिया था कि वे मीरावती और उसके चार अबोध बच्चों को भूखा नहीं मरने देंगे।