बीते सात साल के निचले स्तर पर पहुंची हवाई यात्रियों की संख्या

 देश में आर्थिक सुस्ती की मार सिविल एविऐसन व्भाग पर भी पड़ी है। विभाग के अनुसार देश में हवाई यात्रियों की संख्या पिछले साल महज 3.74 प्रतिशत की दर से बढ़ी जो सात साल का निचला स्तर है। साथ ही 2014 के बाद यह पहला मौका है जब वर्ष के घरेलू मार्गों पर हवाई यात्रियों की संख्या की सालाना वृद्धि दर 10 प्रतिशत से कम रही है। नागर विमानन महानिदेशालय द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 में घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या 14 करोड़ 41 लाख 71 हजार रही जो 2018 के 13 करोड़ 89 लाख 76 हजार की तुलना में मात्र 3.74 प्रतिशत अधिक है। यह 2012 की 3.48 फीसदी की गिरावट के बाद हवाई यात्रियों की संख्या में सबसे धीमी वृद्धि है। इससे पहले 2018 में यह वृद्धि दर 18.50 प्रतिशत, 2017 में 17.31 प्रतिशत, 2016 में 23.18 प्रतिशत और 2015 में 20.34 प्रतिशत रही थी। पिछले साल जेट एयरवेज के बंद होने के बाद नवंबर में पहली बार हवाई यात्रियों की संख्या दहाई अंक में बढ़ने के बाद दिसंबर 2019 में एक बार फिर इसमें सुस्ती देखी गई और वृद्धि दर सिमट कर 2.56 प्रतिशत रह गई। दिसंबर 2018 में घरेलू मार्गों पर एक करोड़ 26 लाख 93 यात्रियों ने उड़ान भरी थी जिनकी संख्या दिसंबर 2019 में बढ़कर एक करोड़ 30 लाख 18 हजार हो गई।" alt="" aria-hidden="true" />


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प्रधानमंत्री मोदी ने 5 अप्रैल को रात्रि 9 बजे 9 मिनट तक घर की लाईट बंद करने की अपील की और 130 करोड़ देशवासियों को महाशक्ति जगाने का किया आह्वान
"यह विवाद का तीसरा दिन था। मग्घे की लाश पड़ी थी।
पीएम मोदी ने कहा कि ये लॉकडाउन का समय जरूर है, हम अपने अपने घरों में जरूर हैं, लेकिन हम में से कोई अकेला नहीं है। 130 करोड़ देशवासियों की सामूहिक शक्ति हर व्यक्ति के साथ है, हर व्यक्ति का संबल है। हमारे यहां माना जाता है कि जनता जनार्दन, ईश्वर का ही रूप होते हैं। इसलिए जब देश इतनी बड़ी लड़ाई लड़ रहा हो, तो ऐसी लड़ाई में बार-बार जनता रूपी महाशक्ति का साक्षात्कार करते रहना चाहिए। मोदी जी के भाषण का पूरा अंश ये रहा :-
भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 107 हो गई है। भारत सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा मामले केरल से सामने आए हैं। वहां 22 लोग कोविड19 पॉजिटिव पाए गए हैं। वहीं देश में दो और पूरी दुनिया में 6 हजार से अधिक लोगों की मौत इस बीमारी के संक्रमण से हो चुकी है।
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मग्घे ने पिछले कुछ बरसों से सैकड़ों बार प्रधान के कहने पर बैंक से पैसा उठाया था। हर बार वह घर आकर घर के मिट्टी की दीवार पर एक खड़ी लाइन जोड़ देता था जो पैसा बतौर हिसाब उसे प्रधान से पाना था। हालांकि प्रधान ने अभी तक तो एक रुपया भी नहीं दिया था मगर मिट्टी की दीवारों पर लाल रंग के सैकड़ों खड़ी लाइनें मग्घे और मीरावती को खासी तसल्ली देतीं थीं कि प्रधान के पास यह रकम जमा है और वह इसे देगा जरूर। मग्घे तड़प-तड़प कर टी.बी. की बीमारी से मर गया। मगर प्रधान अब-तब करता रहा। मग्घे के बच्चे प्रधान के आगे पीछे मड़राते रहे, मीरावती भी बार-बार उस दर पर गई, मगर पैसे न मिलेआम तौर पर डांट-फटकार से बात करने वाला प्रधान, मीरावती से विनम्रता से पेश आता और उसे आश्वासन देता रहा। मग्घे ने मरते-मरते अपने बड़े भाई दांते और छोटे भाई राम समुझ से वचन ले लिया था कि वे मीरावती और उसके चार अबोध बच्चों को भूखा नहीं मरने देंगे।