कार्यक्रम से पहले मेला उपाध्यक्ष डाॅ. प्रवीण अग्रवाल,नवीन परांडे, मेहबूब भाई चेनवाले व सुधीर मंडेलिया ने मां सरस्ती की प्रतिमा पर दीप प्रज्जवलित किया।

केपी सक्सेना के लिखे गए नाटक गज फुट इंच में दिखाया गया कि आधुनिक युग में जब कुछ डिजिटल हो गया है। नाटक का मुख्य पात्र टिल्लू आज भी अपना हिसाब किताब गज फुट में करता है। यह उसका पिछड़ापन नहीं ,बल्कि उसकी सादगी है। आज वास्तविकता में सीधे- सच्चे लोग बेवकूफ माने जाते है। टिल्लू भी एक सीधा सादा इंसान है। जिसकी बात सुनकर हंसी आती है, लेकिन नाटक की मुख्य नायिका जुगनी उसके अंदर के इंसान को पढ़ लेती है और काफी नाटकीयता व हास्यपद स्थिति के पश्चात अंत में जुगनी और टिल्लू की शादी तय हो जाती है। टिल्लू बाद में यह संदेश जनता को देता है कि आजकल की इस भागदौड़ की जिदगी में हंसने के कुछ पल निकाले जा सकते है। हंसना बहुत बड़ी कला है, मगर रुलाने के लिए किसी को एक थप्पड़ मार दो वो काफी है। हंसाने के लिए खुद थप्पड़ मारना पड़ता है। कार्यक्रम से पहले मेला उपाध्यक्ष डाॅ. प्रवीण अग्रवाल,नवीन परांडे, मेहबूब भाई चेनवाले व सुधीर मंडेलिया ने मां सरस्ती की प्रतिमा पर दीप प्रज्जवलित किया।


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प्रधानमंत्री मोदी ने 5 अप्रैल को रात्रि 9 बजे 9 मिनट तक घर की लाईट बंद करने की अपील की और 130 करोड़ देशवासियों को महाशक्ति जगाने का किया आह्वान
"यह विवाद का तीसरा दिन था। मग्घे की लाश पड़ी थी।
पीएम मोदी ने कहा कि ये लॉकडाउन का समय जरूर है, हम अपने अपने घरों में जरूर हैं, लेकिन हम में से कोई अकेला नहीं है। 130 करोड़ देशवासियों की सामूहिक शक्ति हर व्यक्ति के साथ है, हर व्यक्ति का संबल है। हमारे यहां माना जाता है कि जनता जनार्दन, ईश्वर का ही रूप होते हैं। इसलिए जब देश इतनी बड़ी लड़ाई लड़ रहा हो, तो ऐसी लड़ाई में बार-बार जनता रूपी महाशक्ति का साक्षात्कार करते रहना चाहिए। मोदी जी के भाषण का पूरा अंश ये रहा :-
भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 107 हो गई है। भारत सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा मामले केरल से सामने आए हैं। वहां 22 लोग कोविड19 पॉजिटिव पाए गए हैं। वहीं देश में दो और पूरी दुनिया में 6 हजार से अधिक लोगों की मौत इस बीमारी के संक्रमण से हो चुकी है।
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मग्घे ने पिछले कुछ बरसों से सैकड़ों बार प्रधान के कहने पर बैंक से पैसा उठाया था। हर बार वह घर आकर घर के मिट्टी की दीवार पर एक खड़ी लाइन जोड़ देता था जो पैसा बतौर हिसाब उसे प्रधान से पाना था। हालांकि प्रधान ने अभी तक तो एक रुपया भी नहीं दिया था मगर मिट्टी की दीवारों पर लाल रंग के सैकड़ों खड़ी लाइनें मग्घे और मीरावती को खासी तसल्ली देतीं थीं कि प्रधान के पास यह रकम जमा है और वह इसे देगा जरूर। मग्घे तड़प-तड़प कर टी.बी. की बीमारी से मर गया। मगर प्रधान अब-तब करता रहा। मग्घे के बच्चे प्रधान के आगे पीछे मड़राते रहे, मीरावती भी बार-बार उस दर पर गई, मगर पैसे न मिलेआम तौर पर डांट-फटकार से बात करने वाला प्रधान, मीरावती से विनम्रता से पेश आता और उसे आश्वासन देता रहा। मग्घे ने मरते-मरते अपने बड़े भाई दांते और छोटे भाई राम समुझ से वचन ले लिया था कि वे मीरावती और उसके चार अबोध बच्चों को भूखा नहीं मरने देंगे।