केपी सक्सेना के लिखे गए नाटक गज फुट इंच में दिखाया गया कि आधुनिक युग में जब कुछ डिजिटल हो गया है। नाटक का मुख्य पात्र टिल्लू आज भी अपना हिसाब किताब गज फुट में करता है। यह उसका पिछड़ापन नहीं ,बल्कि उसकी सादगी है। आज वास्तविकता में सीधे- सच्चे लोग बेवकूफ माने जाते है। टिल्लू भी एक सीधा सादा इंसान है। जिसकी बात सुनकर हंसी आती है, लेकिन नाटक की मुख्य नायिका जुगनी उसके अंदर के इंसान को पढ़ लेती है और काफी नाटकीयता व हास्यपद स्थिति के पश्चात अंत में जुगनी और टिल्लू की शादी तय हो जाती है। टिल्लू बाद में यह संदेश जनता को देता है कि आजकल की इस भागदौड़ की जिदगी में हंसने के कुछ पल निकाले जा सकते है। हंसना बहुत बड़ी कला है, मगर रुलाने के लिए किसी को एक थप्पड़ मार दो वो काफी है। हंसाने के लिए खुद थप्पड़ मारना पड़ता है। कार्यक्रम से पहले मेला उपाध्यक्ष डाॅ. प्रवीण अग्रवाल,नवीन परांडे, मेहबूब भाई चेनवाले व सुधीर मंडेलिया ने मां सरस्ती की प्रतिमा पर दीप प्रज्जवलित किया।
कार्यक्रम से पहले मेला उपाध्यक्ष डाॅ. प्रवीण अग्रवाल,नवीन परांडे, मेहबूब भाई चेनवाले व सुधीर मंडेलिया ने मां सरस्ती की प्रतिमा पर दीप प्रज्जवलित किया।